श्रमण/SHRAMAN

ऐसा जीवन दर्शन जो अपने अनुयाई को "मोक्ष" प्राप्त करने हेतु हजारों वर्षों से सक्षम बनाता आया है | उस दर्शन के लिए, उन अनुयाईयों के दैनिक जीवन में "सुख" की अनुभूति करवाना, कोई कठिन बात नहीं है| संस्कृत भाषा की परिभाषा के अनुसार, “सुख” का अर्थ केवल खुशी नहीं है। जहाँ खुशी केवल आनंद का पर्याय है, वहीं कई बार हमें रोने के बाद भी सुख मिलता है। सुख कई रूपों और मार्गों से आता है और श्रमण अनुयाई इस मार्ग पर चलते हुए, इस बात को अच्छी तरह जान-समझ जाते हैं कि दैनिक जीवन में सुख कैसे प्राप्त किया जाए।

इस अनादि मार्ग से स्वयं को समझने का यह दर्शन, इस काल में तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) द्वारा प्रतिपादित किया गया था। विकिपीडिया "श्रमण" को कुछ ऐसे परिभाषित करता है (संस्कृत: श्रमण; पाली: समण समाना) का अर्थ है "साधक।" श्रमण साधना और जाँच मानव होने के अनुभव की प्रत्यक्ष और प्रामाणिक जाँच पर जोर देती है। माना जाता है कि पाली समाना, श्रमण शाब्दिक मूल श्रम से लिया गया है, जिसका अर्थ है "प्रयास करना, श्रम करना या तपस्या करना"। इस प्रकार "श्रमण" का अर्थ संस्कृत और पाली में "जो प्रयास करता है" या "मजदूर" है। [5] " जैन, बोद्ध, सांख्य, अजीविका, यह सभी धर्म और कृष्ण द्वारा भगवत गीता के उपदेश, श्रमण संस्कृति पर ही आधारित हैं|

2Alotus (India)® का उद्देश्य है, आमजन को श्रम करने के लिए प्रेरित कर उनको सही मार्ग पर लाना, जिससे वह सही मार्ग को स्वयं खोज कर, आत्म निर्भर रूप से अपने छोटे और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए सुख की अनुभूति कर सकें| इस सब की शुरुआत सही समझ से, सही जगह पर उचित श्रम करने से होती है| अकसर देखा गया है कि लोग अपने आप को यहीं फसा हुआ पाते हैं| वह समझ नहीं पाते कि सही रास्ता क्या है और उस पर कैसे चलें, ऐसे में वह भाग्य भरोसे बैठे रह जाते हैं और वह सब नहीं कर पाते, जिनके सपने वह देखते हैं| 2Alotus की सभी गतिविधियाँ, श्रमण संस्कृति के मार्ग का ऐसे प्रसार करती हैं जिसका हर व्यक्ति लाभ ले सकता है और अपने जीवन को वह बना सकता है जिससे अपने सुख की प्राप्ति के लिए उसको किसी और पर आश्रित नहीं होना पड़े और वह सदा के लिए आत्म-निर्भर हो सके| इसके लिए एक ही नियम है, और वह है “श्रम”|


A life-philosophy which has been enabling its followers to attain “MOKSHA” for thousands of years, then it is not difficult for that philosophy to make its followers feel “SUKH” in their daily life. According to Sanskrit language, the definition of "Sukh" does not mean only happiness. Where happiness is only synonymous with joy, sometimes we feel happy even after crying. Happiness comes in many forms and from many paths, and Shramana followers, while walking on this path, realizes for themselves, how to find “SUKH” in their daily life.

In this “KAAL”, this philosophy of understanding oneself through this eternal path was propounded by the Tirthankara Rishabhdev (Aadinath). Wikipedia defines "Shramana" (Sanskrit: श्रमणा; Pali: samāna samāna) to mean "meditation". Shramana practice and inquiry emphasizes direct and authentic investigation of the experience of being human. Pali Samana, sramana is believed to be derived from the literal root śrama, meaning "to make an effort, to labor or to perform austerities". Thus "Shramana" means "one who strives" or "laborer" in Sanskrit and Pali. [5] ". Jain, Buddhist, Sankhya, Ajivika, all these religions and the preaching of Bhagavad Gita by Krishna, all are based on Shramana culture.

2Alotus (India)® aims to inspire people to make efforts and try to bring them on the right path, so that they can discover their own right path by themselves, achieve their big and small goals independently and feel “SUKH”. It all starts with the right understanding, doing the right work at the right place. It has often been seen that people find themselves trapped and confused. They do not understand what is the right path and how to traverse on it, in such a situation they remain dependent on luck and cannot do all that they dream of. All the activities of 2Alotus propagate the path of Shraman culture in such a way that every person can take advantage of it and make his life such that he does not have to depend on anyone else for his happiness. There is only one condition, and that is "Shram - Effort ".

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